लेखनी कविता -मुर्गा बोला - बालस्वरूप राही
मुर्गा बोला / बालस्वरूप राही
मुर्गा बोला- "कुकड़ूँ कूँ",
लेकिन इतनी जल्दी क्यूँ ?
रात देर से सोया था,
मैं सपनों में खोया था,
धूप ठीक से नहीं चढ़ी,
क्या है जल्दी इसे पड़ी।
मुर्गा बोला- "कुकड़ूँ कूँ।"
कुकुड़ कुकुड़ कर बोला यूँ-
"ऐसी क्या नाराजी है,
हवा सुबह की ताजी है।
सुस्ती तज बाहर निकलो,
चलो, टहलने कही चलो।"
जल्दी सोना, जल्दी उठना :
नियम बहुत ही अच्छा है।
जो भी इस का पालन करता
वह ही अच्छा बच्चा है।